Admission Guidance

Friday, 9 December 2016

हर साल मानवाधिकार दिवस पर बड़े बड़े कार्यकर्म देखने को मिलता है लेकिन वास्तव में हम मानव है और मानवता के खातिर कुछ करते है क्या ?























मानव, मानवाधिकार और मानवता

(10 दिसम्बर- अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस विशेष)

हर साल हमलोग 10 दिसम्बर को अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मानते है I वैसे भारत में 28 सितम्बर को मानवाधिकार कानून अस्तित्व में आया और 12 अक्टूबर को राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग का गठन हुआI लेकिन संयुक्त राष्ट संघ की महासभा ने 10 दिसम्बर को अधिकारिक रूप से एक घोषणा पत्र जरी करके अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस घोषित कियाI
मानवाधिकार का मतलब मौलिक अधिकार अथवा स्वतंत्रता का अधिकार जिसका सभी मानव जाती हक़दार है I
मानवाधिकार की अंतर्राष्ट्रीहय घोषणा के तहत निम्नक अधिकार समाहित हैं:-
* बोलने के स्वटतंत्रता का अधिकार
* भोजन का अधिकार
* न्याअयिक उपचार का अधिकार
* सरकार (किसी देश में) की भागीदारी का अधिकार
* काम का अधिकार
* स्त रीय जीवन जीने का अधिकार
* आराम एवं सुविधापूर्ण जीवन जीने का अधिकार
* शिक्षा का अधिकार
* समान काम के लिए समान वेतन का अधिकार
* सामाजिक सुरक्षा का अधिकार
* वैज्ञानिक प्रगति में भाग एवं उससे लाभ लेने का अधिकार
* जीवन, सुरक्षा एवं स्वसतंत्रता का अधिकार
* मनमानी ढंग से गिरफ्ताषरी अथवा निर्वासन के विरूद्ध अधिकार
* विचार, विवेक एवं धार्मिक स्व तंत्रता
* निष्पीक्ष एवं स्वंतंत्र न्यातयिक सुनवाई का अधिकार
* शांतिपूर्ण सभा संगोष्ठीव करने तथा संघ बनाने का अधिकार
tuition classes on just 199/month
clever Children
A Tuition classes on just 199/Month
aptionसंयुक्त राष्ट्र के इस घोषणा पत्र के मूल में मात्र प्रजातांत्रिक (लोकतांत्रिक) संविधानों में निहित नागरिक एवं राजनैतिक अधिकार ही नहीं अपितु कई आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृजतिक अधिकारों की भी चर्चा है। प्रत्येकक नागरिक एवं राष्ट्रन के लिये अन्तएर्राष्ट्रीिय मानव अधिकार घोषणा पत्र पर हस्ताेक्षर करने वाले प्रत्येनक देश का यह कर्तव्या है कि वे अपने यहाँ इन अधिकारों का संवर्द्धन तथा संरक्षण सुनिश्चिदत करें साथ ही प्रत्येिक नागरिक के लिये इन अधिकारों को प्रभावी बनाने तथा उनका निरीक्षण करने के लिये जागरूक एवं प्रेरित किया जाना चाहिए।
धरती पर जन्म लेने के साथ ही मानव को कुछ अधिकार स्वतः मिल जाते है जैसे भोजन पाने का अधिकार, शिक्षा पाने का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार इत्यादिI परन्तु संयुक्त राष्ट संघ के दिशा निर्देश के बावजूद भी भारत सहित कई देशों में नागरिक गरीबी और भुखमरी के शिकार हो रहे हैI घोषणा पत्र में वर्णित अधिकारों के बावजूद भी वो इस अधिकार से बंचित रह जाते हैI
सवाल है इसका जिम्मेदार कौन ? केवल सरकार और सरकारी तंत्र को जिम्मेदार मानना ये सरासर गलत है क्योंकि इस तरह के कुव्यवस्था का जन्म कहीं न कहीं हम खुद ही दिए हैI
हर साल मानवाधिकार दिवस पर बड़े बड़े कार्यकर्म देखने को मिलता है लेकिन वास्तव में हम मानव है और मानवता के खातिर कुछ करते है क्या ? हम मानव है और मानव के दुःख दर्द समझाने या महसूस कर सकने में असमर्थ है तो किसी मानवाधिकार की आवश्यकता नहीं हैI यह दिवस किसी प्रोपगेंडा के अलावे कुछ भी नहीं I
सम्पूर्ण समाजिक उत्थान होने पर ही मानवता, मानव और मानवाधिकार का मतलब समझ में आएगा यह एक सवाल जिसे हम सबको मिलकर सोचना चाहिए
:-आशीष त्रिवेदी,
मुख्य समन्वयक,
शिवहर जन जागरण मंच
सम्पर्क; 9278009414


No comments:

Post a Comment