From the desk of Vijay Vikas
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माफी मांगो -----------@@ इस जन्म में तो कभी नहीं मांगूंगा।
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हम भी राजनीतिक ज्ञान रखते हैं।कभी ऐसा सुना कि सतापक्ष के माननीय गण ही विपक्षीयों के कतिपय आरोप पर सदन की कार्यवाही निरंतर बाधित रखेंगे।
ऐसा ही कुछ नजारा बिहार विधान परिषद के सदन में देखने को मिला।
अब तो मैं यह तय नही कर पा रहा हूँ कि कौन सरकार के पक्ष के लोग हैं और कौन विपक्ष के।
पर्सनल इगो के संदर्भ में और माफी मांगने के इश्यु पर सदन न चलने देना संवैधानिक लोकतांत्रिक व्यवस्था की हत्या के बराबर है।उपर से अखबार पत्रों के माध्यम से खुले आम धमकी की खबर कि आगे भी सत्र नही चलने दिया जाएगा, चर्चा का विषय है।
लोकतांत्रिक मूल्यों का अनुसरण का पाठ आप लोग जैसे माननीय जनप्रतिनीधि से ही कोई सीखे।
निजी स्वार्थ में करोड़ों के राजस्व का पानी के तरह सदन बाधित कर के बहा देना कहाँ तक न्यायोचित है।
या अब यह मान लिया जाए कि सदन के अन्दर आप लोग भी विपक्ष की भूमिका निभा रहे हैं।
जनता के कान खड़े हैं, होशियारी से काम लीजिए।
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