फिर से ढाका हुआ शर्मशार।
जी हाँ दलित,मुस्लीम का नारा देने वाले अल्पसंख्यक समाज लगातार दलितो पर अत्याचार करके प्रशाशन को चुनौती देते जा रहे हैं।विधानसभा चुनाव के बाद सपहीं या बरेवा व कल 2-12-16 को फुलवरिया का घटना जिसमें 8 माह के गर्भवती महीला को अधमरा कर साथ के महिलाओ का कपडा फार कर पिटना व पुरूषों को लाठी,फरसा से घायल कर घर में रखे सोने,चाँदी,रूपये को लुट कर घर में आग लगा दिया जिस गरिब के घर आज 3-12-16 को शादी था।हद तो तब हो गई जब कुछ छुटभैइये नेता मानवता को शर्मशार कर जाती का पक्ष ले रहे थे।
मामला सिर्फ इतना था की डोम जाती के गमछा को लेकर शमशाद ने अपनी जरनेटर बाँध रखी थी,तो उस दलित नें महज पाँच रूपये माँग डाले थे अपना गमछा साफ करने के लिए।फिर तो क्या था?
प्रशाशन पर दलित समाज को भरोसा है की न्याय मिलेगा।
मामला सिर्फ इतना था की डोम जाती के गमछा को लेकर शमशाद ने अपनी जरनेटर बाँध रखी थी,तो उस दलित नें महज पाँच रूपये माँग डाले थे अपना गमछा साफ करने के लिए।फिर तो क्या था?
प्रशाशन पर दलित समाज को भरोसा है की न्याय मिलेगा।
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