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Sunday, 11 December 2016

सच्चाई सरकारी विद्यालय का, ना शौचालय, ना ब्लैक बोर्ड, ना पढाई, लड़के को ये भी पता नहीं कि प्रधानाध्यापक कौन है*

सच्चाई सरकारी विद्यालय का, ना शौचालय, ना ब्लैक बोर्ड, ना पढाई, लड़के को ये भी पता नहीं कि प्रधानाध्यापक कौन है*
संघर्षशील युवा अधिकार मंच द्वारा सभी विद्यालयों पर नजर रखा जा रहा है। इसी क्रम में मंच के सदस्य अंजय कुमार के नेतृत्व में मंच का टीम उ0 म0 वि0 जाफरपुर में पहुचा तो देखा कि बच्चे विद्यालय कैम्पस से बाहर घूम रहें हैं। जब शिक्षक से इस सम्बन्ध में पूछा गया तो शिक्षक के द्वारा बोला गया कि विद्यालय कैम्पस के अंदर शौचालय नहीं है।
टीम टीम जब क्लास रूम पहुचा तो बच्चे क्लास में खेल रहे थें और शिक्षक उपस्थित नहीं थे। बच्चों से कुछ जानकारी ली गई तो पता चला कि मध्यान भोजन नियमित नहीं बनता है। बनता भी है तो सिर्फ खिचड़ी और चावल।
बच्चों से जब कुछ प्रश्न किया गया तो बच्चे उत्तर देने में असमर्थ रहें। मतलब कुछ पढाई नहीं होता है इस विद्यालय में। खास बात तो ये है कि इस इस वर्ग के ब्लैक बोर्ड भी फूटा हुआ है।
लगभग सभी सरकारी विद्यालय का यही हाल है। बच्चों को ये भी जानकारी नहीं है कि विद्यालय में कितने शिक्षक है और कौन प्रधानाध्यापक है।
ये है विद्यालय का सच्चाई। ऐसे कितने विद्यालय है जहाँ शौचालय नहीं है और उन्हें स्वच्छ भारत अभियान की जानकारी दी जाती है।
प्रश्न तो ये है कि आखिर इन बच्चों का भविष्य किस ओर जा रहा है? क्या इसका जिम्मेदार यह सिस्टम तो नहीं जो बच्चों को शिक्षित नहीं होने देना चाहते हैं?
आदित्य कुमार
संघर्षशील युवा अधिकार मंच।

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