शिवहर के युवा और पत्रकार मिलकर करें निर्णायक क्रांति का आगाज
महान स्वतंत्रता सेनानियों के लम्बे संघर्ष के बाद देश को पराधीनता से आजादी तो करीब सात दशक पहले ही मिल गयी थी,लेकिन सेनानियों के सपने अब तक पूरे नही हो सके हैं | न तो करोड़ो गरीबों को आर्थिक सुरक्षा मिल पायी है और न ही झोपड़ियो मे रहने वालों के हाथ मे सत्ता को अपने हित मे साधने की ताकत आ पायी हैं |भष्ट्राचार व शोषण मुक्त और समतामूलक समाज राष्ट्र का सपना अब भी अधूरा है,अफसोस है कि हमारें शहीदों की कुर्बानी को भी कुछ लोगो ने अपने हित मे साध लिया |आजादी के अगर कुछ तेजी से बढ़ा है तो वह है सार्वजनिक जीवन मे फलता फूलता भष्ट्राचार,जिससे शिवहर आजादी के इतने बर्षो के बाद भी विकसित नही बन पाया है | हर जगह फैले भष्ट्राचार में चपरासी से लेकर सत्ता के शीर्ष पदो तक बैठे व्यक्ति तक की संलिप्पता है | भष्ट्राचार के कारण शासक वर्ग तथा आम जन मानस के बीच एक भयानक किस्म की दूरी उत्पन हो गयी हैं | सत्ता के रवैये से दुखी आम जनमानस बार-बार सड़कों पर उतर कर अपने गुस्से का इजहार कर रहा है | चाहे वो सरोजा सीताराम अस्पताल तथा डिग्री काँलेज शुरू करवाने का आंदोलन हो या फिर सरकारी बस तथा रेल शुरू करवाने का आंदोलन हो या जिले मे हो रहे भष्ट्राचार के कारण युवाओ का व्यवस्था के प्रति आक्रोश हो | हर मौके पर युवाओ का गुस्सा बस यही एहसास करा रहा है कि उन्हे सत्ताधीशों मे विश्वास नही रह गया है |.... व्यवस्था अगर भष्ट्र है तो दोषी निशचित तौर पर कार्यपालिका,विधायिका,न्यालपालिका तथा मीडिया और जनता है ? लेकिन हम ये बोल देते है हमारा नेता भष्ट्र है | और हम चुप हो जाते है लेकिन सोचने वाला बात ये है कि अगर सरकारी अफसर अगर ठान ले की अपने जिले मे भष्ट्राचार नही होने देंगे तो किसी नेता का औकात नही है की वो भष्ट्राचार कर सकें उसी तरफ अगर मीडिया ठान ले कि जिला मे भष्ट्राचार नही होने देते तो किसी नेता और अफसर का हिम्मत नही है कि वो भष्ट्रचार कर सके और उसी तरह अगर जनता ठान ले कि अपने जिला मे नेता,अफसर,सरकारी कर्मचारी और मीडिया भष्ट्राचार नही करे तो किसी का औकात नही है की भष्ट्राचार कर ले , उसी तरह अगर जिले का युवा ठान ले की जिला मे व्यवस्था परिवर्तन हो कर रहे तो किसी का औकात नही है कि परिवर्तन होने से रोक ले | आज शिवहर इतना पिछड़ा हुआ है हर क्षेत्र मे तो इसके लिए जिम्मेदार नेता अफसर मीडिया और जिले के लोग सभी सामूहिक रूप से हैं |जिले के हर आफ्सि मे भष्ट्राचार का बोलबाला है आज तक कोई बोलने बाला नही था,पुलिस का व्यवहार अमानवीय होता है जिसके कारण लोग पुलिस के पास जाने से डरते है,क्योकि वे अच्छे आदमी के साथ भी अपराधी जैसा व्यवहार करती है | लेकिन कोई बोलने बाला नही है | जिले के हर योजना मे लूट मचा है कोई बोलने बाला नही है लेकिन आज जिले का युवा जाग गया है वह भष्ट्र व्यवस्था से नजर से नजर मिलाकर बात करने का साहस रखता है | जिले के युवा जिस ढ़ंग से आगे बढ़ कर जिला निर्माण का हौसला दिखा रहे है और जिला हित मे युवाओ का आगे आना बताता है कि जिला का भविष्य उज्जवल है | कल सोशल मीडिया पर शिवहर को एक आक्रोशित तथा आंदोलित युवा मुकुन्द सिंह के लेख पर बहुत विवाद हुआ | निश्चित रूप से उन्होने जिस शब्द का प्रयोग किया उसे सही नही ठहराया जा सकता ना ही उनकी बातो से 100℅ सहमत हुआ जा सकता है लेकिन याद रहे ये युवाओ की गुस्से की अभिव्यक्ति है जो जिले के भष्ट्र व्यवस्था से क्षुब्द है !उन्होने क्या बोला उससे महत्वपूर्ण ये है की उन्होने ये क्यो बोला ! सब ने बस आलोचना किया पर किसी ने ये नही जानना चाहा की उनके मन मे सिस्टम के प्रति इतना गुस्सा क्यो है ? शायद ये गुस्से की अभिव्यक्ति जो परिवर्तन के लिए प्रतिबध्ध हो हो सकता है उस लड़का को इस भष्ट्र सिस्टम मे घुटन महसूस हो रहा हो | जो भी हो लेकिन शिवहर के लिए ये निर्णायक क्षण है यहाँ के सभी मीडिया बंधु,पत्रकार बंधु और सभी समाजिक संगठन के लोग मिल कर निर्णायक क्रांति का आगाज करे |क्योकि ये हमे परिवर्तन के लिए अनुकूल समय लग रहा है ! शिवहर के युवा और पत्रकार मिलकर लड़ाई लड़े तो भष्ट्राचार मुक्त शिवहर का निर्माण हो सकता हैं |
.............................................................................................................मुकुन्द प्रकाश मिश्र

No comments:
Post a Comment