Admission Guidance

Sunday, 30 April 2017

बजाये हल्ला मचाने की जगह चिंतन करें ढाका वाशी - शिवहर विस्तारीकरण






शिवहर पहले प्रखंड, फिर अंचल, अनुमंडल उसके बाद ज़िला। बिहार ही नही देश के सबसे पिछड़े ज़िलों में से एक है शिवहर। 5 प्रखंडों और एक अनुमंडल से मिलकर और मात्र 6.6 लाख की आबादी वाला ज़िला। न शिक्षा का उचित उपाय और न ही कोई रोज़गार। जिला पूर्ण रूप से किसानी पर आश्रित।
लेकिन स्वतंत्रता संग्राम में स्व. ठाकुर नवाब सिंह जैसे धरती के लाल ने अंग्रेजों के खिलाफ ऐसी लड़ाई लड़ी जो देश की आज़ादी का अमिट हिस्सा बन गया। इस धरती ने स्व. ठाकुर गिरिजनंदन सिंह- पूर्व शिक्षा मंत्री, बिहार, स्व. राम दुलारी सिन्हा-केंद्रीय मंत्री एवं पूर्व राजपाल, केरल, स्व. हरिकिशोर सिंह- पूर्व राजदूत सीरिया एवं पूर्व सांसद, स्व. अनवारुल हक़, बिहार सरकार के मंत्री पूर्व सांसद स्व0 सीताराम सिंह, पंडित श्री रघुनाथ झा, लगातार 6 बार विधायक, प्रदेश मंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री, भारत सरकार, ठाकुर युगल किशोर सिन्हा- स्वतंत्रता सेनानी एवं पहली लोकसभा सदस्य जैसे राजनीतिज्ञों को प्रदेश और देश को दिया जिन्होंने अपनी सेवा से देश-प्रदेश में जिले का नाम रोशन किया।
अख़बारों में पढ़ा शिवहर जिले को सीतामढ़ी, पुर्बी चंपारण और मुजफ्फरपुर के कुछ प्रखंडों को शिवहर में मिलकर जिले को विस्तार करने का प्रस्ताव वर्तमान जिलाधाकारी Raj Kumar जी ने राज्य सरकार को भेजा है। निश्चित ही यह जिलाधाकारी द्वारा एक सरहनीय क़दम, उनकी दूरदर्शिता और प्रशासनिक कौशल की उपज है। इसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं।
अभी जिलावासियों तक पूरी बात भी नहीं पहुंची थी की जैसा की अपेक्षित था, इसका विरोध शुरू हो गया। कई फेसबुक मित्रों के वाल पर देख रहा हूँ कुछ जगह मीटिंग बुलाकर इस प्रस्ताव के विरोध में आंदोलन की रूपरेखा पर चर्चा हो रही है तो कई मित्र आपस में ही उलझ रहे हैं। कुछ सामाजिक कार्यकर्त्ता और संगठन इसके समर्थन में भी जनसमर्थन जुटाने की बात कह रहे हैं।
ढाका, चिरैया और मीनापुर चूँकि अपने अपने जिला मुख्यालय से काफी बेहतर तरह से जुड़ा हुआ है इसलिए वहां की जनता का विरोध प्रासांगिक है। सरकार शायद इसपर पुनः विचार करेगी इसलिए वहां के लोगों को धैर्य और संयम के साथ अपनी बात सरकार तक पहुँचाना चाहिए।
मेरा कहना है की जब सीतामढ़ी बना था तो मुजफ्फरपुर से काटकर बनाया गया, शिवहर जब बना तब सीतामढ़ी से काटकर बनाया गया। इसी तरह बंगाल से बिहार अलग हुआ, बिहार से झारखण्ड। चीजें समय के साथ बदलती रहती हैं। आंदोलन करना अपने अधिकारों के लिए ठीक है, परंतु जिस प्रकार से इतनी जल्दी प्रतिक्रिया हो रही है ये ठीक नहीं। पहले आकलन तो कीजिए नए ज़िले में आने से आपके क्षेत्र का विकास होगा या नुकसान। और अगर सरकार ने फैसला कर ही लिया तो आपके आंदोलन से क्या फ़र्क़ पड़नेवाला! आप जितना विरोध करेंगे, समर्थन में उससे अधिक लोग जुट जाएंगे। मुझे लगता है बजाये वा वैला मचाने की जगह चिंतन करें। निष्चित ही इसका हल भी निकलेगा। अगर बात सिर्फ स्वाभिमान की है तो आप शिवहर ज़िला से जुड़कर अवश्य गौरान्वित होंगे, ऐसा इतिहास है इस धरती का।
धन्यवाद ।



No comments:

Post a Comment