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Tuesday, 14 November 2017

क्यों पड़ा ज़िले का नाम "शिवहर" और क्या है "देकुली धाम" का इतिहास*

*क्यों पड़ा ज़िले का नाम "शिवहर" और क्या है "देकुली धाम" का इतिहास*


*शिवहर:-*जिले के लोक आस्था का केंद्र बाबा भूवनेश्वर नाथ मंदिर अति प्राचीन है. इस मंदिर का धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण द्वापर काल में किया गया था. एक ही पत्थर को तराश कर इस मंदिर का निर्माण किया गया है.
1956 में प्रकाशित अंगरेजी गजट में नेपाल के पशुपतिनाथ व भारत के हरिहर क्षेत्र के मध्य इस मंदिर के  होने की बात कही गयी थी. कोलकाता हाई कोर्ट के एक फैसले में भी इस मंदिर को अति प्राचीन बताया गया है. ग्रामीणों की मानें तो इस्ट इंडिया कंपनी के चौकीदारी रसीद पर भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता था. मंदिर के पश्चिम भाग में एक तालाब है. जिसकी खुदाई करीब 1962 में छतौनी गांव निवासी संत प्रेम भिक्षु ने कार्रवाई थी.
संत प्रेम भिक्षु उतर बिहार के चैतन्य अवतार माने जाते थे. इस खुदाई में द्वापर काल की कई दुर्लभ धातु की मूर्तियां प्राप्त हुई थी. जिसे अति प्राचीन मौल वृक्ष के पास स्थापित किया गया है. ग्रामीणों के मानें तो इसके नीचे करीब 12 फिट खुदाई के बाद ग्रेनाइट पत्थर प्राप्त होते है.



 इसके पौराणिक महत्व के बारे में  कहा जाता है कि सीता के साथ पाणिग्रहण संस्कार के दौरान राम को परशुराम के कोप का  शिकार होना पड़ा. जो आज भी कोपगढ़ गांव के रूप में जाना जाता है. जहां परशुराम का मोह भंग हुआ वह स्थल मोहारी गांव के रूप में आज भी मौजूद है. इसी मंदिर में राम ने परशुराम के साथ पूजा किया. जिससे पूरा क्षेत्र शिव व हरि का मिलन क्षेत्र कहलाया व लोग इस क्षेत्र को शिवहर के नाम से जानने लगे. कहा जाता है कि महारनी द्रोपदी द्वारा इसे मंदिर में स्थापित शिव को कुलदेव के रूप में पूजा जाता था.
इस लिए इस क्षेत्र को देव कुल की जगह देकुली नाम से  लोग पुकारने लगे.  कहा जाता है युद्धिष्ठिर ने यहां 61 तालाब खुदवाये थे. जो डुब्बा घाट के पास बागमती नदी में समाहित हो गया. जहां धार्मिक अनुष्ठान होता था. इसलिए उसके आस पास का क्षेत्र धर्मपुर कहलाया. जहां कुश की खेती की जाती थी. वह क्षेत्र कुशहर कहा जाने लगा.वर्ष 2007 तत्कालीन डीएम  विजय कुमार  ने इस मंदिर के महत्व को लेकर इसके सौंदर्यीकरण व विकास हेतु प्रारूप तैयार करवाया. स्थानीय लोगों की समिति बनायी गयी. देकुली धाम को पर्यटन स्थल बनाने का निर्णय लिया गया ।